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मूलकिया ।
६ मलक्रिया । .३४। जिस कर्म से उद्दिष्ट पद का अभीष्टमूल निकालते हैं उस को मूलक्रिया कहते हैं । यह घातक्रिया के उलटी है । इस लिये यदि बीजात्मक केवलपद का वर्गाविमल निकालना हो तो वह पद किस का धादि धात है? यो वर्गादि घात के खोजने से उस पद के वर्गादिमूल का तुरंत बोध होगा।
उदा० (१) य इस का धर्गमल + य और - य है क्योंकि+य और -य इन दोनों का भी वर्ग+ य यही होता है। इस लिये या इस के बर्गमल कोय यों लिखते हैं। य इस का अर्थ धनात्मक या सणात्मक य ।
उदा० (२) - अकर इस का धनमल - अक यह है क्यों कि-अक इस का घन - अक यही होता है।
उदा० (३) अ (य--) दस का वर्गमूल =+ अ (य-र), (य+ १)२ (र--१) रस का वर्गमल = * (य+ १) (र- १२ और - (+ल) इस का नमल =-घ(+ल)।
३५ । बीजात्मक संयुक्तपद का वर्गमूल निकालने की रीति का खोज । यह उद्दिष्ट संयुक्तपद के वर्ग में जो पद होगे उन से सिद्ध होता है।
सोचो कि अ+ क यह एक उद्दिष्ट पद है । इस का वर्ग अ + २ अक+कर यह है । इस में अ इस के घात के घातमापक उत्तरोत्तर घटते हुए हैं। अब इस के पहिले पद अ, का वर्गमूल अमल का पहिला पद है। इस का वर्ग उद्दिष्ट वर्ग में घटा के शेष २ अ + क के पहिले पद में मूल के दूने पहिले पन का भाग देखने से क फल आने के योग्य है । यह मल का दूसरा पद है। अब उस दूसरे पद को मल के दूने पहिले पद में नोड़ देने से जो बनेगा उस को उसी दूसरे पद से गण देने से (२ +क)क अथात अक+करे यह बनता है। इस को २ अक+कर शेष में घटा देने से अवशिष्ट कुछ नहीं
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