SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घातक्रिया | ४९ गुणनफल होंगे उन को लिखो यो अन्त तक करने से जो बनेगा सा ※ उस संयुक्तपद का वर्ग है उदा० (१) (अ + ऋ + ३ग)=' + अ + अ + 8 क‍ + १२ कग + ९ गरे । उदा० (२) (यर + ३ + र े - ६ रल + १० र + ९ ल े उत्तर, + १५ * + २० www.kobatirth.org 321° (3) (¤2+R # ~ Q)3 — #* + 8 m2 − 8 m2 + 8 =2 + ४ = अ + ४ अ - ८ + ४ । अभ्याम के लिये और उदाहरण । (१) ३ अय इस का वर्ग, घन और चतुर्धात क्या है ? उत्तर, ९, २० र ८१ । * 1 इसी भांति (क+ ग+घ + - ५) २ = य े - २यर + ६ थल ३० लव + २५ वरे । फिर (ग + घ... इत्या० अब उत्थापन से (२) - ५ यरल इस का वर्ग, घन और चतुर्घति क्या है ? उत्तर, २५८४ – १२५ यल और ६२५ यर'ल१२ । (३) अ + २क इस का वर्ग और अ - ४य इस का घन क्या है ? उत्तर, अ + ४ क +४ क और १२२+४८०२ - ६४ य । (४) अ + २ + १ इस का वर्ग और धन क्या है ? * + ४ ३ + ६ अ + 8 + १ और ६+६ +१५+६+१। •गा) , ण)' = {ग + (घ + ' ) } Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५. इस की युक्ति यह है। मानो कि, श्र + क + ग + घ++ या इस का वर्ग करना है तब (श्र+क+ग+••ण) = अ + ( क + ग + घ + ... ण) } २ १२ = अ + २ (क + + + सा) + (क+ग+घ+...) र {क + ( ग + घ... या) २ = क*+ श्क (ग+द्य+ण) + ( ग + ध + ... I)2 २=' + ग (घ+... ..ख) + (घ+...) इत्या० इत्या० (अ + + + + +२ + २क (ग + घ+या) + ग +२ (ध + उपपत्ति स्पष्ट होती है । -- १० यव For Private and Personal Use Only -- दन (क + ग + + शा) + कर या) २ + इत्या० । इस से उक्त रीति की
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy