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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकघातसमीकरणसम्बन्धि प्रश्न । अथवा यहां एक भाग को जानने से दसरा भाग तरंत जान सकते हैं इस लिये यहां जो य = पहिला भाग मानो तो स्पष्ट है कि २१ - य = दूसरा भाग होगा : प्रश्न की बोली से, यू +२५ य = ५, छेदगम से, य+ ८४ - ४ य = १०० .. य = १६ यह पहिला भाग है, और दुसरा भाग =२१- य =२१-१६ =५। इस प्रकार से यहां २१ इस संख्या के १६ और ५ ये दो भाग हैं। यह उत्तर । । प्रश्न ४ । द्रो नगरों में १४० कोसों का बीच था उन दो नगरों से अौर क ये दो मनुष्य परस्पर मिलने के लिये एक हि काल में चले; उस में अ मनुष्य प्रति दिन ११ कोस चलता था और क र कोस च. लता था। तब नगर से चलने के पीछे कितने दिन पर उन दोनों की मार्ग में भेट हई? ___ यहां मानों कि चलने के पीछे य दिन पर उन की मार्ग में भेंट हई, तब ११ य = अ के चलने के को कोस र य = क के चलने के कोस । .:. ११य+ य = १४०, • वा २० य = १४० और य =७। अपने २ गांव से चलने के पीछे दिन पर और क इन की पर. स्पर भेट हुई । यह उत्तर । प्रश्न ५। अ, क, ग इन तीन मनुष्यों को साझे के व्यापार में एकटे ५४० रुपये मिले, उस में अ, से क, के १५३ रूपये अधिक. थे और क, से ग के १२६ रूपये न्यन थे तो उस में हर एक के कितने २ रुपये थे? यहां य= अ, के रूपये, र=क, के रुपये और ल = ग, के रुपये। तो प्रश्न की बोली से, य+र+ल = ५४०, य =र- १५३ और रल+१२६ ये तीन समीकरण होते हैं। तब For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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