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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अनेक एकघात समीकरणं । अथवार के वारयोतक ४, ६ दो से अपवर्तित करके २, परस्पर के समीकरणों को गुण देने से, तीय हैं .:. उत्थापन से, र = २| उदा० (२) ९ य + १२८ = ९६ यहां समान वारयोतकों के चिह्न विजा १०८ - १२र = ५६ मान क्या है ? समीकरणों का योग करने से, १९८ = १५२ :. www.kobatirth.org उदा० (३) ५ ८ + ३८-२ = १६ ५८२ र .. (१) से, (२) से, स्पर के समीकरणों को गुण देने से, अन्तर करने से, इस में छेदगम और यथासंभव सवर्णन करके ३८ - १६ = १ - ३८य - २र = ११२ १९८ - १०र = ४० घर य+र घर = ६ अन्तर करने से, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८- २ = ११२ ३८य - २०र = ९४ १०₹ = १८ र = १ और उत्थापन से य ३ । ? = 30 (र - ६) य = ६र (३० – र) य = ३० र - इस में य और र क्या है ? य यहां (१) से (२) से, गुणदेने से, (३० - र) (र- ६ ) य = ६र (३० - र) (३० - र) (र - ६) य = ३०र (र-६) ० = ६र (३० - ₹) – ३०र (₹ - ६) इस में य और र का इस में य के वारद्योतक ३८, १९ अपवर्तित करके २, १ दून से पर | २२६ इस से य = ८ For Private and Personal Use Only इस में य के वारयातकों से परस्पर के समीकरणों को ३०र (र -६) = ६ र (३० - २), वा ५ (१-६) = ३० १ ₹ = १० और उत्थापन से य = १५ । समक्रिया से
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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