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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उदा० (२) अनेक एकघात समीकरण । यहां (१) से थ की उन्मिति य = ३२ =४ र इस से (२) में ४र उत्थापन करने से, ५{३२ } - ६र = २८ तब पूर्वोक्त रीति से, र = २ और उत्थापन से य=८। . य ५ य + उदा० (३) १०+४७ पह (१) से य ३ य श्र ५८ - २१- ३८ यर य+र यर र www.kobatirth.org यहां छेदगम और यथासंभव सवर्णन करके (१) से, ३८य - २र = ११२, (२) से १९ य -- = ६ - === ३० तब पूर्व रीति से, र = १ और उत्थापन से, य -६ = १६ { ३+१६ ६ र र -६ इस सर्वात किये हुए (१) ले में उत्थापन करने से ३८ { १०८१+४२} – २ ८ = ११२ - = १ × र - र १ का मान क्या है ? ३० इस में थ और र इन ६ र र दे इस का (२) में उत्थापन करने से - ६र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस में य और र क्या है ? ... 604 १०₹ ४७ = ६ र २ ६ र – r° + ६ र सवर्णन से, : ६र = ३६० - ३०र : अथवा यहां (१) से पर (२) से घर = ३० य - ३० र ... य = १५ । (३) (8) .. ३० य - ३०१ = ६य +६ : २४ य = ३६ र य = इस से (३) में उत्थापन करने से, ई = र + ईर For Private and Personal Use Only ६र १२- र ₹ = १० और उत्थापन से ६य +६६ ... ३ । ३० ....
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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