________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२७
भित्रपदों का संकलन और व्यवकलन । अ+ अक्र-अकरे +क'
- = अ + अक-अकर
(१२)
अ+करे
कर (२ अ-अक-कर) ।
अ+कर
+५
अ-२ अ +३२-४
६ +५--
(
+
+
)२
+
+
+क)३
४कर (३ अ-क) + क+ -
(अ-क)२ . ' र
र३ (अ ) अर
का (अ+कर) । अ क३= अ- अकरे+
' अ+करे । अर--- २ अक+क-अग-गर
ग (क-ग) अ-क+ग
. अ-क+ग अय+कयः + गय+घय+च
-=अयः + (अप+क) यर य-प
अप+कप+गप+घप+च। +(अप+कप+ग)य+(अप+पर+गप+घ)+
य-प
३ मिन्नपदों का संकलन और व्यवकलन ।
६४। भित्रपदों का संकलन वा व्यवकलन करने के लिये पहिले इन पदों के छेदों को समान करना चाहिये उस का प्रकार यह है ।
उद्विष्ट पदों के छेदों का जो लघुतमापवर्त्य होगा उस में हर एक उद्विष्ट पद के छेद का भाग देने से जो २ लब्ध होगा उस से अपने २ अंशों को गुण देओ घे गुणनफल समच्छेद पड़ों के अंश हैं और वह लघतमापवर्त्य हि सब समच्छेद पदों का छेद है।
For Private and Personal Use Only