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२ भिन्नपदों का रूपभेद ।
६० । भित्रपद का एक रूप से वा नाम से दूसरे रूप वा नाम में ले जाने के प्रकार को रूपभेद कहते हैं । भिचपदों का संकलन, व्यवकलन, इत्यादि के लिये पहिले इस को अवश्य जानना चाहिये ।
उदा० (१)
६१ । किसी भिन्नपद का लघुतमरूप, जानने का प्रकार ।
उद्दिष्ट पद का अंश और छेद इन दोनों का महत्तमापवर्तन निकाला अभीष्टरूप के अंश के लिये उद्दिष्ट पद के अंश में इस महत्तमापवर्तन का भाग देओ और अभीष्टरूप के छेद के लिये उद्दिष्ट पद के छेद में भाग देओ ।
इस की उपपत्ति
जब कि भित्रपद का अंश और छेद इन दोनों में एक हि पद का भाग देने से उस का मोल नहीं बिगड़ता तब उद्दिष्ट भित्रपद का अंश और छेद इन दोनों में उन्हों के महत्तमापवर्तन का भाग देने से उद्दिष्ट पद का मोल न पलट के उस के अंश और छेद परस्पर दृढ़ होंगे अर्थात् वे और छोटे नहीं हो सकेंगे इस लिये वह उद्दिष्ट भित्रपद का अभीष्ट रूप होगा ।
- कर
अरे - करे
न्यास । जब कि
इस का लघुतमरूप क्या
उदा० (२)
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- क
इस लिये यहां अंश और छेद इन
(अ + क) (अ अरे - क (अ + अ + करे ) ( का महत्तमापवर्तन
इस का उन दोनों में भाग देने से
+ क
+ क + क
१४ घर - ११ यर + २२
श्
+ १६ घर - ६१
?
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११८
क)
- क)
- क है
यह लघुतमरूप है।
इस का लघुतमरूप क्या है ?