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अध्याय ४ ।
इम में बीजात्मक भिन्नपद का व्युत्पादन, भिवपदों का रूपभेद, उन का संकलन और व्यवकलन, गुणन, भामहार, घामक्रिया, मलक्रिया और प्रकीर्णक इतने प्रकरण हैं।
१ बीजात्मक भिन्नपद का व्यत्पादन । ५५। जो बीजात्मक पद परा नहीं है अर्थात जो अवयव वा अवयव से मिला हुआ कोड पूर्ण पद है उसको भित्रपद कहते हैं। इस से स्पष्ट है कि भिन्नपद कोइ पर्ण भाज्य भानकों का भजनफल है जो भाज्य भाजक से निःशेष नहीं होता।
भिवपदसम्बन्धि भाज्य को अंश वा भाग कहते हैं और भाजक को छेच वा हर कहते हैं।
भिवपद जिस पदार्थ की जात का होगा उस पदार्थ के उतने समान विभाग करो कि जितनी केव की संख्या हो फिर अंश की संख्या जितनी होगी उतने वे विभाग ले के उन का योग करो वह उस भिवपद का मान है अथवा अंश की संख्या जितनी होगी उतने भिन्नपद की जात के पदार्थों का ऐक्य कर के छेद की संख्या जितनी होगी उतने उस ऐक्य के समान विभाग करो उन में एक विभाग उस भित्रपद का मान है।
५६। जिस भित्रपद में अंश और छेद परस्पर दृढ हैं वह उस का लघुतम रूप है।
५७। जो अभिनय क्रिमी भित्रपद मे जुडा हु.मा वा घटा हुआ है उस को मिश्रपट कहते हैं । यह दो प्रकार का होता है । एक भागानुबन्ध और एक भागापवाह ।
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