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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लघुतमापवर्त्य । १०९ क्यें। कि जो २ राशि अ और क इन से निःशेष होगा सो २ ल से भी निःशेष होगा। इस लिये ल और ग इन का जो लघुतमापवर्त्य है वही अ, क और ग इन का लघुतमापवर्त्य होगा। - इसी भांति चार वा अधिक पदों का लघुतमापवर्त्य निकालने में भी युक्ति जानो। इस को रेखागणित के सातवे अध्याय के छत्तीसवें क्षेत्र में विस्तार से सिद्ध किया है। __ अनुमान । जो अनेक पद ऐसे हों कि उन में कोई दो पद परस्पर अदृढ न हों उन अनेक पदों का गुणनफल उन का लघुतमापवर्त्य होगा। उदा० (१) अक, कग और ग इन का लघुतमापवर्त्य क्या है? .. यहां पहिले दो पदों का महत्तमापवर्तन क है । इस लिये उन दो अकxकग पदों का लघतमापवर्त्य = = अग अब यह लघुतमापवर्त्य और गई यह तीसरा पद दन का महत्तमापवर्तन ग है .. अकरेग गरे इस लिये अभीष्ट लघुतमापवर्त्य = = अमगरे । उदा० (२) २ यर-५ य+२, २य + य -१ और यर-य-२ इन का लघुतमापवर्त्य क्या है? यहां पहिले दो पदों का महत्तमापवर्तन २य-१ यह है इस लिये उन दो पदों का लघुतमापवर्त्य = - (२यर-- ५ य+२) (२ य+य-१) २य-१ = २य-३ य-३ य+२ अब २ यः -- ३ य२-३ य+२ यह लघुतमापवर्त्य और तीसरा पद इन का महत्तमापवर्तन य-य-२यह है इस लिये . For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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