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वादी गज केशरी स्वर्गीय अनुयोगाचार्य श्रीमत् केशरमुनिजी गणिवर्यना शिष्य रत्न अने प्रस्तुत ग्रंथना संशोधक स्वर्गीय
श्रीमत् बुद्धिसागरजी गणि.
खरतरगच्छ विभूषण श्रीमन्मोहनलालजी महाराजना प्रशिष्य अने प्रस्तुत ग्रंथना कर्ता कवित्व लब्धि संपादक पाठकप्रवर
श्रीमल्लब्धिमुनिजी महाराज.
जेमना अत्यंत आग्रहथी आ ग्रंथy सर्जन थयु, ते आचार्य श्री जिनरत्नसूरिश्वरजीना विद्वान शिष्य रत्न गणि
वर्य श्री प्रेममुनिजी महाराज.
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