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श्रीदे.
उज्जयंते धनश्रेष्ठीकथा ।
धर्म संघा-VI तत्तो। सरसेण चंदणेण दलेइ
भुवणभूसणयं ॥१७॥ सवत्थविय पसत्थं सकारित्ता पसत्थवत्थेहिं । पूयइ तिहुयणपुजं दसद्धवन्नेहिं कुसुमेहिं ॥१८॥ सयलसुचैत्यश्री-10
मंगलनिलयस्त अग्गओ नेमिजिणवरिंदस्स। सियसालितंदुलेहिं आलिहइ मंगले अह ॥१९।। कुसुमेहि पंचवन्नेहिं पूयए अमंगले चारविधी
| तत्तो। सरसेण चंदणेणं दलेइ पंचंगुलीतलयं ॥२०॥ सिवसुहफलयं पवरफलेहिं नालेरकेलमाईहिं । सीलसुगंधं च पहुं सुगंधिगंधेहिं
पूइत्ता ।।२१।। पहुणो तिहुयणदीवस्स देइ मणिरयणदीवयं पुरओ। कणयकडुच्छयहत्थो धृवं उखिवइ भत्तीए ।।२२।। चंदोदयं ॥३३६॥
च दाउं महाधयं छत्तचमरचिंधधयं । आरतियाई काउं नियए जा नेमिसुहकमलं ।।२३।। ताव मरहट्ठमंडणमलयपुरा बहुसुवन्नकोडिपहू | सियपक्सुपओसी बोडियाण भत्तो वरुणसिट्ठी ॥ २४॥ भडचडगरेण महया नियसंघेण य जुओ तहिं पत्तो। तं द? नेमिपूयं अमरिसविवसो इय भणेइ ॥२५।। हा सियवडभत्तेहिं सड्ढेहिं इमेहिं तत्तविमुहेहि । निग्गंथवरिट्ठोऽविहु सग्गंथो कह को सामी? ॥ २६ ॥ तो खिप्पं लंखावइ सो वत्थाभरणकुसुमाइ तया। गयपयपयसा सहसा पक्खालावेइ बिंबपि ॥२७॥ वरुणस्स धणस्स तओ महंतआओहणं तहिं जायं । असरिसअमरिसविवसा तुरिय सेलाओं ओयरिउं॥२८॥ नियनियउन्भडसुडवायसुहडतुक्खारवारपरियरिया। ते विक्कमनिवहिट्ठियगिरिनयरामिहपुरे पत्ता ।। २९ ॥ तेण दुहेणं दुखियमणमि निदं अपावमाणस्स । धणसिटिस्स निसाए सासणदेवी भणइ एवं ॥३०॥ वरसिहि सिट्ठधम्मिजिठ सुपइसमयलद्धहो। भवत मा मणागवि निययमणे कुणसु दुक्खमिणं ।। ३१ ॥ जंचिइवंदणमज्झे गाहं उजिंतसेल इच्चाई । पक्खिविय निवसहाए जयं धुवं तुज्झ दाहामि ॥३२॥ सयलनियसंघसहियो सुदिट्टिदेवाण काउ उस्सग्गं । पत्तो धणो सुतुट्ठो निवस्स पासंमि वरुणोवि ॥३३।। साहियनियवुत्तता भणिया रत्ना दुयेऽपि जह भद्दे । दुन्निवि जिणसमयविऊ दुवेवि जिणधम्मसद्धालू ॥३४|| दुन्निवि जिणवरपवयणपभा
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॥३३६॥
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