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इस मंत्र को बोल कर चोपडा के सामने पाटला पर नैवेद्य चढाना । फिर हाथ में फल या श्रीफल लेकर--
"ॐ ह्रीँ श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकालोक"प्रकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै फलं समर्पयामि स्वाहा ।"
इस मंत्र को बोल कर चोपड़ा के सामने बाजोट पर फल चढाना । बाद में दोनों हाथ जोड कर नीचे का 'शारदास्तोत्र' बोलना। जिनादेशजाता जिनेन्द्रावदाता, विशुद्धा प्रबुद्धानना लोकमाता। दुराचारदुनिहरा शंकराणी, नमो देवी वागेश्वरी जैनवाणी ॥१॥ सुधा धर्मसंसाधिनी धर्मशाला, मुधा धर्मनिर्नाशिनी मेघमाला। महामोहविध्वंसिनी मोक्षदानी ॥ न० ॥ २ ॥ अखे वृक्षशाखा वितीर्णाभिलाषा,कथासंस्कृता प्राकृता देशभाषा। चिदानन्दभूपस्य या राजधानी ॥ न० ॥ ३ ॥ समाधानरूपा अनूपा अतन्द्रा, अनेकान्तवादाङ्कितहस्तमुद्रा । त्रिधा सप्तधा द्वादशाङ्गी वखानी ॥ न० ॥ ४ ॥ अकोपा अमाना अदम्भा अलोभा, श्रुतज्ञानरूपी प्रतिज्ञानशोभा। महापावना भावना भव्यमानी ।। न० ॥ ५ ॥ अतीता अभीता सदानिर्विकारा, स्मरा वाटिका खण्डिनी
खड्गधारा । पुरा पापविच्छेदकी कृपाणी ॥ न० ॥ ६ ॥ अगाधाअबाधा निरन्ध्रानिराशा, अनन्ता अनादीश्वरा कर्मनाशा । निशङ्का निरङ्का चिदङ्का भवानी ॥ न० ॥ ७ ॥
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