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कथा
दान
Hal तबहीं भावज कैसे कही। उनके तन जु बिथा कछु भई॥ १५ ।। इतनी सुनिक तबै कुमार । भ्राता पास गयो ततकार ॥४२॥
जाय भ्रात सों कैसें कही। कौन विथा तुम तनमें भई ॥
तुरतहि लाऊं बैद बुलाय । तुमकौं नीको लेउ कराय ॥४॥ हा तबहि दुष्ट फिरि कैसे कही। अब तौ बिथा मेरी घट गई। BI तुम भोजन सुकरौ अब जाय। पीछेते मै करौ सुप्राय ॥४४॥
भ्रात हुकुमते चलो कुमार । पहुंचो जाय रसोई द्वार ॥ भावज देखि दिवरकों जबै । आँसू चलें नैन” तवै॥ १५ ॥ तब भावज सों कैसे कहीं। हमरी बात सुनो तुम सही । कारन कौन भयो तुम सोय । बदन मलीन सु दीखौ मोहि ॥४६॥ | इतनी सुनिक भावज जबै । कछू जबाब न दीनो तबै ॥
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