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The Commentary ends Fol
165a.
ज्ञातकली श्रीमहावीर देवई ।
प० कथारूपनी अनि उपशमा वीशीतलाभूत थई नई मोक्ष एहुता तेनई भगवंतई छ छत्तीस उ० उत्तर प्रधान अध्ययन | भ० भव्यजीवहई सं० ए छत्तीस अध्ययन वाल्दा हुयई । ति० श्रीसुधर्मास्वामी जंबू स्वामि प्रतइ कहइ छ ।
अथ विनय दृष्टांतः ।
भो विनीय विउ पढ़म गणहरो सम्मत्तमुय खानी ।
तो वितमत्थं विक्षिय भ सुराइ सव्वं ॥१॥ श्रीगोतमस्वामिनी परइ शिष्य विनोत जोई जई कोहव व श्रीगोतमभद्रक परिणाम + + विनयवंत होंती | अतिविनयवंत प्रथमगणधर समस्तश्रुतज्ञानना धनी चउदपूर्वी अणइ ।
DATE AND PLACE OF THE MS.
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संवन्नागभुजाष्टभूमिवर्षे मिति कार्त्तिक कृष्णदशम्यान्तिथौ वुधे श्री नाहडसरग्रामणीयं ॥ लिखितोयं उत्तराध्ययनसिद्धांतः कथासहितः परमपूज्य महर्षि श्रीश्रीमुकु - दजी | ता । शि । श । आनंदचं द्रेण श्रीमन्नागपुरीयाका लुकागणे ।
COLOPHON OF THE Text.
इति श्रीजीवाजीवविभत्ती नाम ज्भयणं सम्मत्तं ॥ इति श्रीउत्तराध्ययन स्तवकस्स
कथानकः समाप्त ॥
COLOPHON OF THE Commentary.
श्रीउत्तराध्ययण नामाप्र थनो कथासहित सूत्रार्थ संपूर्ण हउ ॥
POST COLOPHON OF THE Commentary.
शुभं भवतु श्रीरस्तु ॥
4159 ( II )
कल्याणमंदिर स्तोत्र Kalyānamandira Stotra
Substance : Countrymade Paper ; Size : 1 1 in by 42 in ; Foll 7 ; Five Lines of Text in a Page; Character : Jaina Devanagari; Appearance : old ; Complete.
The Kalyanamandira Stotra, a Stotra by Siddhasenadiväkara. It is accompanied with a Taba Commentary.
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