________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[ 144 1 The Ms ends Fol 14a.
किय कम्माइ आयारमंतरे विनयमंतरे संहिउ सेहाविउ संगहियाउ वगहिउ सारिउ वारिउं चोइउ पडिचोइउ वियत्ता मे पड़िचोयणा उवट ठिउहं सामनस्स उज्झतय ते सरीये इमाउ' चाउरत संसारक' ताराउ' साहहु नित्थरिस्सामिति कह सिरसा मनसा मत्थएण वंदामि नित्थरपारगा होय इति गुरुवचनम् ॥ DATF AND PLACE OF Ms.
लि ॥ श्रीमेड़तानगरे मध्ये संवत् १६३ रामिति चत्त सूदरना + + श्री श्री १०८ श्री श्री ॥ COLOPHON.
इति पाकुखि क्षामण संपूर्णम् ।
113
2715 पाक्षिक सूत्र Paksika Satra
Substance: Countrymade Paper ; Size: 8in by 4 in ; Foll: 13 ; Twelve Lines in a Page ; Character: Jaina Devanagari; Appearance: discoloured ; Complete.
The Paksika Sūtra, the first Müla Sūtra of the Jaina Sacred Canons. The Ms begins Fol 1a.
तित्थंकरे अतित्थे अतिथिसिद्ध य तित्थसिद्धे य सिद्धे जिणे रिसी महरिसी अनाणं च वंदामि १ जे इमं गुणरयणसायरमविराहिऊण तिणि संसारा ते मंगलं करित्ता अहम विआराहणाभिमुहो २ ममामंगलमरिहंता सिद्धा साहू सुयं च धम्मो च य खंत्ती गुत्ती मुत्तो अज्जवया मद्दव चेव ३ लोगम्मि संजया जं कर ति परम रिसिदेसियमुयार अहमवि उवद्धित महव्वयं उच्चारण काउं ४ से किल' महद्दय उच्चारणा महद्दय उच्चारणा पंचविहा पन्नत्ता राइभोयण वेरमण वद्धा त जहा सज्जाउ पाणाइ वायाउ वेरमण सज्जाउ मुसावायाउ वेरमण सज्जाउ अदिनादानाउ वेरमणं सज्जाउ मेहुणाउ घेरमण सज्जाउ परिग्गहाउ वेरमणं सज्जाउ राईभोयणाउ वेरमण तत्थ खलु पढ़मे भंते महद्दए पाणाइ वाजाउ वेरमण सव्व भते पाणाइ वाय पच्चक्खामि ।
For Private and Personal Use Only