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7432 पक्खी
सूत्र Pakkhi Satra
Substance : Countrymade Paper ; Size: 10in by 5 in ; Foll: 13 ; Twelve Lines of Text in a Page : Character: Jaina Devanāgari; Appearance: fresh ; Complete,
The Pakkhi Sūtra, the first Müla Sūtra of the Jaina Sacred Canons. The Ms begins Fol rb.
ॐ नमः ॥ तित्यकार अतित्थे अतित्थसिद्ध अतित्थसिद्ध प्रसिद्ध अजिणे रिसीमहरिसी अनान' च वंदामि १ ... से कि त महव्वरय उच्चारणा पंचविहा पन्नत्ता राइभोयण वेरमणछद्धा त जहा सव्वाउ पाणाइ वायाउ वेरमण सव्वाउ मुसावायाउ वेरमण सव्वाउ अदिन्नादानाउ वेरमण सव्वाउ मेहणाउ वेरमाण सव्वाउ परिग्गहाउ वेरमण सव्वाउ राइभोयणाउ वेरमण तत्थ खलु पढ़मे भते महव्वए पाणाइ वायाउ वेरमण सव्व भते पाणाइ वाय पञ्चक्खामि से सहुम वा वायर वा तस वा थावर वा नेवसयं पाणेअइ वाइजा नेवने हि पाणे अइवायाविजा पाणे अइवायं वेवि अन्न न समणुजाणामि जावज्जीवाए तिविह तिविहेण मणेण वायाए कारण न करेमि न कारवेमि करत'पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भते पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाण वोसरामि ।। The Ms ends Fol 13a.
पायपुत्थणं वा रयहरणं वा अवखर वा पयं वा गाहवा सिलोग वा अत्थ हेउं वा पसिण' वा वागरण वा तुवभेहि चियत्तेण दिन्न मए अविणएण पड़िस्थिय तस्स मिच्छामि दुक्कड़ गुरुभणाइ आयरियसंतिय इच्छामि खमासमणे अहमवि पुवाई कयाइ च मे किइ कम्मइ आयारमतरे विणयमतरे सेहिउ सेहाविउ संगहिउ उवगहिउ सारिउ वारिउ चोइउ पडिच्चोइउ चिइत्तामे पडिचोयणा उवठिउह सामणस्स तुभन्नतरत्ते सिरिए इमाउ चाउरत संसारकांताराउ साहह, निच्चरिस्सामि त्ति कह सिरसा मनसा मत्थएण वदामि नित्थारग पारगाहोह ॥ इति श्रीगुरुवचन ॥ ततः शिष्यवचन। इच्छामो णु सद्धि।
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