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7287 प्रत्याख्यान सूत्र भाष्य Pratyākhyāna Sutra Bhāsya
Substance; Countrymade Paper ; Size : 1og in by 5 in ; Foll : 8; Five Lines in a Page ; Character : Jaina Devanāgari ; Appearance : fresh ; Complete. the Pratya
The Pratyakhyāna Sūtra Bhāṣya, a Commentary on bbyāna Sūtra, a work on Jaina Avasyaka, with a šaba.
The Ms begins Fol ib.
वंदित्वंणजे सव्वे चिह्न वंदनाइ सुविचारं बहुवित्तिभास । चुरणी सुश्राणुसारेण बुच्छामि १, दहतिग १ अहिगम पणगं २ हृदिसि ३ तिहग्गह ४ तिहाउ वंदण्या ५ पणिवाय ६ नमुक्कारा ७ वत्तासोलसायसीमाला ८ ||२ इगसीइसयंतुपया ६ सगनउइपया १० पण दंडा ११ वार अहिगार १२ च वंदणिज्जा १३ सरणिज्ज १४ चउह जिणा १५
The Ms ends in Fol 8a.
होइ दुविहं तु इयलोय मिलाइ दामन्न गमाइ परलोए ॥ ७॥ पच्चक्खाणमिण विभावेण जिवरुद्दि पत्ता अांतजीवा सासयसुवं अणावाहं ॥४८॥
The Taba begins Fol 1b.
वांदिनइ' वांदिवा योग्य पांच परमेष्टि इश्वर प्रतैः सर्व्वं चैत्यवंदनादि कनइ विषै विचार प्रतै' घणीवृत्ति घणीभाष्य घणिचूर्णिते प्रमुख जे श्रुत कहाई पूर्वाचार्य प्रणीत साह नइ अनुसारै + बोलइ ||१|| दसत्रिक बोल जाणवा अभिगमपांचना पांचबोल मूल विवरणो मे लदिसि त्रिणि प्रकारइ अभिग्रह
The Tabā ends Fol 8a.
पचक्खाण
इहलोक धम्मलादिक नई दामत्तकादिक नई परलोक संबंधिउ ॥ इणी परि तेवि आराधी भावइ करी तीर्थ करइ उपदिसिंउ अनंताप्राणी अनंता प्राणी अनंत कालइ सास्वत सुख्य मोक्षश्रवा धीरहित पहवउं स्थानक
COLOPHON OF THE Commentary.
इति प्रत्याख्यानभाष्यं समाप्त ॥
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