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The Pratyākhyānabhāşya, a work on the laina Avaśyakas. The Ms begins Fol 3b. ___भाभि अईयं कोडी। सहिर सागारगं अनागारं। परिमाणनिरवासस । नियंटिसांकय श्रद्धाय ॥१ चउ आहार हवी सागार दस विगइ गइ तीस। बावीस भवखवत्तोसणंत। भंगा छ सुद्धिफलं ॥ २ पज्जुसेवणाइ तवं। वेयावच्चाइ हेउमासज्ज । जंको रह पुरपच्छा । तं भगवि अई यग च कमा ॥ ३
. The Ms ends Fol 5b.
___ खारणुमय दुतिज्जय। तिकाल सेयाल भंग सयं ॥ ५१ ... पञ्चक्खाणस्स फल। इह परलोए योहोइ दुविहंतु। इह लोइ धम्मिलाई। दामनगमाइ परलोए ॥ ५६ पञ्चकूखाणमिणं सेविऊण। भावेण जिणवरा हि णु। एता अणंतसत्ता सासयं सुक्खं अणावाहं ॥ ५७ COLOPHON:
इति प्रत्याख्यानभाष्यं समाप्त Post COLOPHON:
इति भद्रमस्तु ॥ च ॥ च ॥ श्री ॥ च ॥ च ॥ श्री॥
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7643 चैत्यबंदनभाष्य Caityabamdanabbāsya
Substance: Countrymade Paper ; Size: 10in by 4g in; Foll: 3; Sixteen Lines in a Page; Character : Jaina Devanagari; Appearance: fresh; Complete.
The Caityabamdanabhāsya, a Commentary in Gātbā on the Caityabamdana, a work on the Jaina Āvaśyakas.
The Ms begins Fol ib. ॐ नमो वीतरागाय नमः
वंदित्तु वंदणिज्जे सव्वे चिइ वंदणाइ सुवियार।
बहु वित्ति भास चुराणी सुयाणुसारेणं वुच्छामि । दहतिग १ अहिगमपणग' २ हुदिसि ३ तिहु ग्गह ४ तिहाउ वंदणया ५. पणवाय नमुक्कारा। ७ वएणा सोलसय सयलो ८॥२॥ सीगसइसय तु पया ६ सगनउई संपया
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