________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10986 A DESCRIPTIVE CATALOGUE ON End : सर्वान् जिह्मान् छेदय छेदय / शोषय शोषय / बन्धय बन्धय / मम रक्षां कुरु। क्षां क्षी झू झू क्षौं क्षः / हुं फट् स्वाहा / श्रीमत्पञ्चवक्तहनुमते नप / Colophon: मालामन्त्र(न्त्रः) सम्पूर्णम् (:) / ___D. No. 17233 Palin leaf. 154 x 11 inchos. Pagas, 49. Linos, 6 on u pago. Tolugu. Injured. Old. Extent, 440 granthas. वैद्यग्रन्थः / VAIDYAGRANTHAH. Begins on fol. la. The other work heroin is :--Vaidyavisayalu 26 (a) (Telugu). Similar to the work described under D. No. 13218. Deals with the description of maladies and their troatment. Colophon: रोगोत्पत्तिढिविधा। स्वतन्त्रा परतन्त्रा / स्वतन्त्रा नाम / स्वतन्त्ररोगी द्विविधः / निल आगन्तुकः / निजं नाम विरुद्धाशन . . . . . अकालभोजनातिमूत्रामृत्राविधिभोजनऋतुविरुद्धाशनमातृजपितृजसहजग पचार . . तादिगा एकादश / End : हिङ्गुलं च . . . . व्योष टङ्कण ग-धकं समम् / मातुलुङ्गाम्लसारेण पेषयेद्याममात्रकम् // . . . . . मात्र प्रति वटकां सम्प्रयोजयत / कामश्वासक्षयगुल्मप्रमेहविषभञ्जकम् // सर्पवृश्चिकदष्टो वा श्लोप्ममन्दाग्निपीन में / . प्रयोगान्नाशयेत्सर्वं रसमानन्दभैरवम् / / For Private and Personal Use Only