________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir THE SANSKRIT MANUSCRIPTS 11169 प्रकरणयुक्तिचिन्तामणित्रिवर्गमहेन्द्रमातलिसञ्जल्पयशोधर महाराजचरित महाशात्रवेधसा श्रीमत्सोमदेवसूरिणा विराचितं नीतिवाक्यामृतं नाम राजनीतिशास्त्रं संपूणम् / D. No. 17614 .. Pages, 24. Lines, 20 on a page. Devanagari. Extent, 240 granthas. . . गौरीप्रतिष्ठाविधिः / GAURIPRATISTHAVIDHI". Begins on fol. 9b of the MS. described under D. No. 15368. Contains Patalas 15 to 19. Complete. On the rnles for the installation of the sacred image of Goddess Gauri. Beginning: भगवन् देवदेवेश सर्वज्ञ त्रिपुरान्तक , त्वत्प्रसादाच्छूतं सर्वं गुहस्य स्नपनादिकम् // मत्प्रतिष्ठा समाचक्ष्व यदि स्यात्परमेश्वर / त्वत्तोऽहं श्रोतुमिच्छामि र्वलोकहिताय वै / ईश्वर उवाच हन्त ते कथयिष्यामि त्वत्प्रतिष्ठां वरानने / यत्कृत्वा सिद्धिमानोति परसंयुक्तमादश / / एवं सर्व क्रमात् कृत्वा प्रतिष्ठां तत आरभेत् / सपमानवमातापि पञ्चमाहा शुभेऽहनि !' Colophon: ___ इति गौरीप्रश्ने पञ्चदशः पटलः / End : . ओं उमादेव्यै नमः / ओं गौ नमः / ओं शिवायै नमः / ओं रुद्राण्यै नमः / ओं पार्वत्यै नमः | ओं भवान्यै नमः / ओं विश्वभिवाय नमः / ओ शिवशक्त चै नम / ओं स्कन्दमात्रे नमः / ओं सुभगायै नमः / ओं सुभगाथै विद्महे महामालिन्यै धीमहि / तन्नो गौरी प्रचोदयात् / Colophon : इति गौरीप्रश्ने मन्त्रपटलः / For Private and Personal Use Only