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THE SANSKRIT MANUSCRIPTS.
8767
Begins in the course of the 17th Adhyāya and contains to the end of the work. The names, the numbering and the arrangement of the Adhyāyas as found in this MS. are different from those found in the MS. described under the previous number and hence they are given below:१७. सन्धिकर्मविधानम्.
३८. द्वारविधानम्. १९. एकभूमिविधानम्.
४१. राजलक्षणविधानम्. २५. सप्ततलविधानम.
४२. रथलक्षणविधानम्. २६. अष्टतलावधीनम्.
४५. तोरणलक्षणविधानम्. ३०. विमानविधानम्.
४६. मध्यरङ्गविधानम्. ३२. परिवारविधानम्.
४७. अभिषेकलक्षणविधानम्. ३४. मण्टपविधानम्.
५१. लिङ्गविधानम्. ३५. शालाविधानम.
५१, पीठलक्षणविधानम्. ४०. राजन्यायविधानम्.
५२. शक्तिविधानम्. ३९. राजगृहविधानम्.
५३. जिनलक्षणम्. ४७. कल्पवृक्षविधानम्.
५४. बौद्धलक्षणम्. ४५. तोरणलक्षणविधानम.
५५. ऋषिलक्षणम्. ४६. मध्यरङ्गविधानम्.
५६. यक्षविद्याधरविधानम्. ४८. अभिषेकविधानम्.
५७ भक्तलक्षणविधानम्. ५४. लक्षणविधानम.
५८. वाहनविधानम्. ५५, बोधलक्षणविधानम्.
५९. गरुडलक्षणम्. ५६. मुनिलक्षणविधानम्. ६३. प्रतिमालक्षणविधानम् . ५७. यक्षविधानम्.
६४. स्त्रीमानमध्यमदशतालविधा५९. वाहनविधानम्.
नम्. ६०. गरुडलक्षणम्.
६६. मच्छिष्टलक्षणम्. ३३. गोपुरविधानम्.
६७. अङ्गभूषणविधानम्. ३४. मण्डपविधानम् (duplicate). ६५. स्त्रीमानमध्यमदशतालविधा३५. शालाविधानम्. ३६ गृहमानस्थानविन्यासः. | ६८. अङ्गभूषणविधिः. ३७. गृहप्रवेशविधानम्. । ६९. मयनोन्मीलनम्.
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नम्.
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