________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
THE SANSKRIT MANUSORIPTS. 6807
___II. आकर्षणाधिकारः १. माणिभद्रम्.
४. ललनातुष्टिकरकामराजः. २. मित्रदर्शनम्.
५. मानिन्याकर्षणम्. ३. त्रैपुरम्.
III. स्तम्भनाधिकारः १. शत्रुमुखगतिस्तम्भनम्. ६. अग्निनिवारणम्. २. यात्रास्तम्भनम्.
८. यात्रास्तम्भनम. ३. प्रतिवादिमुखमुद्रणम् ७. शत्रुमुखस्तम्भनम् . ४. शत्रुमुखस्तम्भनम्. ९. पिशुनगतिमतिवाग्बन्धनम्. ५. अग्निस्तम्भनम्.
IV. विद्वेषणाधिकारः १. नरनारीदौर्भाग्यवर्धनम्. ४. स्वामिभ्रातृविद्वेषणम्. २. सर्वविद्वेषणम्.
५. जगद्विद्वेषणम्. ३. बन्धुविद्वेषणम्.
___V. मारणाधिकारः १. सर्वशत्रुमारणम्. ४. सर्वजीवमारणम्. २. प्रबलमारणम्.
५. नरनारीमारणम्. ३. देशान्तरस्थशत्रुमारणम्..
VI. उच्चाटनाधिकारः १. शत्रूच्चाटनम्.
५. नार्युच्चाटनम्. २. सर्वदेह्युच्चाटनमू.
६. त्रिलोकोच्चाटनम्. ३. सद्यउच्चाटनम्. । ७. त्रिलोकोच्चाटनम्. ४. देशान्तरोच्चाटनम् .
461
For Private and Personal Use Only