________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DESCRIPTIVE CATALE ;UO OF MANUSCRIPTS 125 चैतन्यदेव भगवन्तमाधये श्री वैष्णवानां प्रमुदे X; लिखामि : आवश्यक कर्म विचार्य साधुभिः / सार्धं समाहृत्य समस्तशास्त्रतः / * End-- इति श्री गोपालभटट लिखिते श्रीभगवद्भक्तिविलासे प्रासादिको नाम विंशोविलासः। Colophon-~~ शकान्द 1692 जयति विद्या ... कृपार हरिचरणो हृदय नन्दन: श्री ब्रजनन्दन: नस्यात्मजः श्री जगन्नाथदेव शर्मणः सुतः / श्री भुवनानन्दः फाल्गुने शुक्लकादशी तिथि: समाप्तश्चेति ग्रन्थोऽयं श्री हरिनक्तिविलासबान् / श्री मुर्शीदा ए ग्रन्थ स ग्रह करिलाम, श्री गजीर आशीर्वादे / .xx वादे ए। श्री जगन्नाथदेव शमणोऽयं ग्रन्थः / Topics-- गौरवोनाम प्रथमो विलासः / दैक्षिको नाम द्वितीयो विलासः / वैष्णवालङ्कारो नाम चतुर्थोः विलासः स्नापयनिको नाम षष्ठो विलासः / पौष्पिकोनाम सप्तमोविलासः / 220 Dh. 103.(b) हारहर चतुरङ्ग ____By गोदावर मिश्र Substence-Palm leaf, No of folia 58 (15."X1.4") Character Oriya, Date of copy is not given,condition-worm eaten Incomplete. Find spot- Badakhemundi, Dt. Ganjam There is no mangala charana at the beginning of the manuscript For Private and Personal Use Only