________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दस.प.पांडुयाजाणी ति.त्रिण कायनेविसं सम्यक पाच द्वि निग्रहकरणं धी. धीर्यवंत नि। गयाजेणे गुप्त प्रकारेयत्नानाकारणहार यनें दार निग्रंथ परिन्नाया // तिगुत्ता सुसंजया // पंच निगाहणा धीरा निग्गांथा सरलद्रष्टीजोइसंज आ.तापना गिनना हे सीत वस्त्रवेगलामुकी वाल्वर, मनापासणहार 11 सीए लानेविषे काले टाढषमे साले || नपुदंसिणो // 11 // आयावयंति गिम्हेसु // हेमंतेसु अवानमा // वासासु" अंगनपागनेसंवरे सम्यकप्रकारेज स.झानना प परीसहरूपद धू.वेगल कीधो | एकगमबेसे नानाकरणहार धरणहार 12 अ.वेरीजेणे म्या मोहजेणे | पडिसंजीणा // संजयासुं समाहिया // 1 // परीसहरीन दंता // धूयमोहा जि.जित्या स सर्वसरीर प.षपाववा प.नद्यम म.मोटारु 10 करक्तव्यक इंद्रिजेणे मानसीपनी नेर्थे करे सिर 13 रीने जिदिया सबदुरक पहीणठ्ठा॥ पकमंति महेसिणो // 13 // दुक्कराकरित्तांण For Private and Personal Use Only