________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दस.॥ नमसिद्धं श्री ध० धर्म मं० में 30 मत अ. जी १७नेदे १श्ने दे० देवता न०नमस्का अ. र वितरागायनमः गलिक क्राळे वदया संजम दे तप दिक र करें || नमःसिद्धधम्मो मंगल मुकिंचंअहिंसा संजमो तवो॥ देवावितं नमसति |ज. जे ध०धर्म स० सदाई // 1 // ज० ०वृष्य पु०फुल नन्न प्रा०म, वि०पीए सं० हनों मांहें मनहोए जेम नां ने विषे मरो र्यादा रस जस्स धम्मे सयामणो // 1 // जहां दुमस्स पुप्फेसु॥ जमरो यां वियर सं॥ न०नन पु०फ कि०किलाम ते न य० पी०त्री पोताना // 2 // एष ए० स०मुकाणा पजावे बने ... ना. मरो वली तोकरी आत्माने कारे ए साधु परीयथी निय पुफ किलामेशा सो य पीणे अप्पयं // // एमे ए समणामुत्ता। जेजेलो सं० साधुने वि० नमरा पु०फुल दां. नातनीए र०रा 3 व. च. पाहार कने विषे ले विषे जेम ने विष दीधा पणानेविषे ता अमे वलि वृतिने जेलोए संति साहूणो॥ विहंगमाव पुप्फे.सु॥ दांण लत्तेसणे रया॥३॥वयं च वित्तं For Private and Personal Use Only