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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थ दादागुरु देव पूजा विनय विधि वर युक्ति से निज जनक जननी आज्ञया । दिव्य उत्सव साधु - पद पाये परम गुरु - सेवया ॥ सुमतिधीर सुनाम विशेष जयो । गुरु चंद सुचंदन रूप जयो ॥ ४॥ बाल वयमें गुरु - विनय से पुण्य विद्या प्राप्त की। बुद्धि वैभव कीर्ति अपनी सब दिशामें व्याप्त की। गुरु ज्ञान महान प्रधान जयो। गुरु चंद सुचंदन रूप जयो ॥ ५ ॥ देराउरसे जाते जेशलमेर गुरु माणिक्य वर । स्वर्गवासी होगये निज कीर्ति छोड़गये अमर ॥ सद्गुरु पद सुमतिधीर जयो। गुरु चंद सुचंदन रूप जयो ॥ ६ ॥ युग चंद्र रस भू भादवा सुद वार गुरु नवमी सुखद । श्री गुणप्रभ-मूरिवरने सरिमंत्र दिया विशद ॥ नृप माल महोत्सवकारी जयो। गुरु चंद सुचंदन रूप जयो ॥ ७॥ साधु सुमतिधीर वर विख्यात नाम हुए तभी। गणनाथ श्री जिनचंद्र सूरिराज जय बोलें सभी॥ सुखसागर गुरु भगवान जयो । गुरु चंद सुचंदन रूप जयो ।। ८ ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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