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तृतीय दादागुरु देव पूजा तेरह सो नव्यासिये-मनमोहनजो । फागुण अमावसजाण-गुरु-गुणखाणीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥३॥ सिन्धु मुख्य देराउरे-मनमोहनजी । गुरुस्वर्ग सिधारे हत दुःख अपारीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥१०॥ रीहड हरिपालादिने मनमोहनजी । स्वर्गोत्सव किया अपार "हरि" जयकारीरे मनमोहनजी
गुरु गिरुआ० ॥११॥
( काव्यम्) ध्वजायमानो गुरु-जैन-संधे
दादाभिधानः कुशलाख्य-सूरिः । तत्पाद-पद्म-द्वितयं नमामि
ध्वज प्रतिष्टामहमाचरामि ।।
मन्त्रॐ ह्रीँ श्री अहं परम पुरुषाय परम गुरु देवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिन कशलसूरीश्वराय ध्वजं यजामहे स्वाहा ।
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