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तृतीय दादा गुरुदेव पूजा तत्पाद पद्म द्वितयं नमामि वस्त्रेण पूजां विदधे सुभक्त्या ।।
मंत्रॐ ह्रीँ श्री अहं परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिनकुशल
सूरीश्वराय वस्त्रं यजामहे स्वाहा ।।
१०-ध्वज पूजा।
दूहा----
जिनशासन पावन-भवन सद्गुरु ध्यान अनूप । ध्वज पूजाकर भविक जन-हो- त्रिभुवन भूप ॥ ( तर्ज-त्रीस वरष घरमा वस्था मन मोहनजी ) गुण गिरुआ गुरु पूजिये-मन मोहनजी । निज भरिये पुण्य भंडार-भव भय हरियेरे ॥
मन मोहनजी ॥ टेर ॥ कुशल सूरि गुरु राजरे-मन मोहनजी । करदेश विदेश विहार-धर्म प्रचारीरे मन मोहनजी ।
गण गिरुआ० ॥१॥
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