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तृतीय दादागुरु देव पूजा
३ पुष्पपूजा।
गुरु वसन्त ऋतु रूप हैं, भविजन जीवन फूल । गुरुपद पूजो फूल से, शूल होय सब फूल ॥
( तजे-आई वसंत बहाररे प्रभु पूजो मगन में ) कुशलकरण गुरुराजरे, नमो भविजन भावे ।
भविजन भावे शुभगुण आवे, नमोकुशल गुरु राज़रे नमो भविजन भावे० ॥ टेर ॥ श्री जिनचन्द्र सूरीश्वर सदगुरु,
पदसंगी जयकाररे नमो भविजन भावे ।। कुशल कीरति मुनिनायक लायक,
होवे गुण आगाररे नमो भविजन भावे० ॥१॥ तेरह से पिचहत्तर माघे,
सुद बारस शुभयोगरे नमो भविजन भावे ॥ जसु कीरतिरति अनुपम सौरभ,
फैली भुबनाभोगरे नमो भविजन भावे० ॥२॥ डालामउ कन्यानयरे,
आशिकानर भट्टरे नमो भविजन भावे ।। वागड जाबालिपुर निवासी,
संघ भक्ति गह गहरे नमो भविजन भावे ॥३॥
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