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तृतीय दादागुरु देव पूजा
२–चन्दनपूजा
भव-भय-रोग हरें गुरु, चन्दन पूजा योग ।
आतम-शान्ति अनन्तगुण, प्रगटे शिवसुख भोग॥ ( तर्ज-भिनासर स्वामो अंतरजामी तारो पारसनाथ )
राग माढ भव रोग निवारे बोध प्रचार श्रीगुरु गुण भण्डार । हाँ...''श्री गुरु गुण भण्डार भव रोगनिवारें ॥टेर ॥ तेरह से सेतालीस फागुन, सुदिसातम सुखकार । कुशलकीरति दश वर्ष के बालक, पण्डित बर अनगाररे
भवरोग निवारें ॥१॥ कलिकाल केवली नप प्रतिबोधक, गुरुजिनचन्द्र सूरीन्द । पावन बोधि विशोधित आतम, सेवितपद अरविन्दरे ॥
__ भवरोग निवारः ॥ २॥ गुरुगम आगम तत्व विवेकी, निजपरमत के जाण । षड् दर्शन निज दर्शन कारक, तारक मुनि गुणखाण रे ।।
भवरोग निवार० ॥ ३ ॥ तपजत संयमी ज्ञानी ध्यानी, प्रकटित पुण्य प्रताप । श्रीजिन शासन रक्षकशिक्षक, दूर हरें दुःख ताप रे ॥
भवरोग निवारें ॥४॥
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