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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ख ] आपकी जन्मभूमि धवलका (गुजरात ) थी तो स्वर्गभूमि अजमेर ( राजस्थान) में आज भी अपने चमत्कारों से प्रसिद्ध हैं। आपकी स्वर्ग-जयन्ती आषाढ़ शुक्ला १९ को अनेक ग्राम-नगरों में मनायी जाती है। २ -- दूसरे श्री दादा गुरुदेव श्री श्री १००८ श्रीमज्जिनचन्द्र सूरीश्वरजी हुए, जो कि श्री मणिधारीजी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हैं। आप पहले दादा गुरुदेव के पट्टधर थे । आपने महत्तियाण जातिको प्रतिबोध देकर जैन बनाया। दिल्लीपति श्री मदनपाल को जैनधर्म में दीक्षित किया । श्रीमाल जाति में कई नये गोत्रों की अभिवृद्धि की आपके भव्य भाल में नरमणि चमकती थी। आपके भी कई देवी-देवता भक्त थे । आपकी जन्मभूमि विक्रमपुर ( जैसलमेर भाटीपे में ) थी एवं स्वर्गभूमि भारत की राजधानी दिल्ली में कुतुब के पास चमत्कार पूर्ण आज भी प्रसिद्धरूप से पूजी जाती है 1 ३- तीसरे श्री दादा गुरुदेव श्री श्री १००८ श्रीमज्जिनकुशल सूरीश्वरजी महाराज विक्रम की चौदहवीं शताब्दी में हुये । चार राजाओं के प्रतिबोधक कलिकाल केवली विरुवाले श्रीजिनचंद्र सूरीश्वरजी महाराज के आप पट्टधर थे। कई अजैनों को आपने जैन बनाये। कई देवी देवता आपकी सेवा करते थे। आपकी जन्मभूमि समियाणा ( सिवाना - मारवाड़ ) थी तो स्वर्गभूमि देरावर (सिन्ध) में प्रसिद्ध है। सोमवार पूनम - अमावश को आपके नामसे कई भक्त जन एकाशनादि करते हैं। ध्यान करने वालों को आपके दर्शन आज भी हाजरा हजूर है। चिन्ता हरने For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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