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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह ( सन्निधिकरण मन्त्र) ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह श्रीजिन कुशल सूरि गुरो ? मम संनिहितो भव वषट् स्वाहा । १-जल पूजा। दूहा-- ॐ अहं गुरुदेव पद, रविशशि ज्योतिविशेष हृदय तिमिर हर बोध दें, चंदन करूं हमेश ॥१॥ सकल कुशल मंगल करण, परम कुशल गुरुदेव । सेवा से मेवा मिले, साधू सदगुरु सेव ॥२॥ सुविहित खरतरवर विधि, विस्तारक सुखकार। जिन शासन भासन गुरु, पूजन परमाधार ॥३॥ दादा श्रीजिन कुशल गुरु, श्रीपद पुण्य प्रभाव । कुशल भाव पूजन कियां, विघटे अकुशल भाव ॥ ४॥ गुरु सेवा से शिष्य भी, होवे गुरुपद योग । पारस फरसन लोह भी, होत कनक गुण भोग ॥ ५ ॥ परमेष्ठी तीजे पदे, आचारज सिरताज । पूज नित भव सिन्धु से, तारक दिव्य जहाज ॥ ६ ॥ निर्मल जल चन्दन प्रमुख, द्रव्य भाव दो भेद । पूजो भविजन भाव से, दूर टरे सब खेद ॥७॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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