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द्वितीय दादागुरु देव पूजा
सद्गुरु सुखसागर भगवाना, मणिधारी जग जुगपरधाना,
नित पूजो हरि धूप विधाना, बोधि विशोधन हारा । पूजा से पाते भवी० ॥ ६ ॥
श्लोकसदोर्धदिव्यैकगति प्रवाही
श्रीजैनचन्द्रो मणिधारिदादा। तत्पादपद्म-द्वितयं यजेऽहं
सद्भावधूपप्रतिधूपनेन ॥
मंत्रॐ ह्रीं श्रीं अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते
श्रीजिनशासनोद्दीपकाय नरमणि मण्डित भालस्थलाय दादा श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराय
धूपं यजामहे स्वाहा।
५-दीपक पूजा।
दहाशासन दीपक सदगुरु, ज्योतिर्मय जयकार । दीपक पूजा कीजियें, हो ज्योतिः विस्तार ॥
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