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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वितीय दादागुरु देव पूजा (तर्ज-उठो ऊठो ए परमादी जीवड़ा भजलो प्रभुवरको) राग-रसिया पूजो पूजो रे मणिधारी दादा-चंदसूरीश्वर को ॥ टेर ॥ रासल नन्दन सुविहित, खरतर-संयम में लीना । श्रीजिनदत्त परमगुरु सेवा, अमृत - रस - पीना ।। पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥१॥ परम गुरु के पारतंत्र्य में, शिवसाधन करते । सर्व तन्त्र-स्वातंत्र्य भाव में, निर्भय संचरते ॥ पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥२॥ बारह सो पर पाँच शुकल छठ, वैशाखे मासे । विक्रमपुर श्रीवीर जिनालय, वर भावोल्लासे ।। ___ पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥३॥ दादादत्त स्वहस्त कमल पे, सूरिपद ठाना । आठ वरष के रासलनंदन, मुनि मुनिपरधाना । पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥४॥ है पूजा का थान गुणी गुण, न च लिंगं न वयो । जग बोले जिनचन्द्रसूरी गुरु, जय जय चिरं जयो । पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥५॥ धन रासल धन देल्हण माता, धन गुरुदत्त सदा। धन जिनचन्द्रसरि मणियाले, मन वांछित वरदा ॥ पूजो पूजो रे मणिधारी दादा० ॥६॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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