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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चा- बसा विचारके मेनका अप्सराको बोलायकेये वचनचोलाकि हे कंदरजुहारांकी धरनेवाली गुंजाजहां विधा | कथा. रूपतपस्या कर्ताहै॥॥निसको मोहिन करके नपस्पासें चलायदे ऐसाचन सुनके मेनका अप्सरा जहांमुनि नपस्या कर्ताहै वहांगई।।।।फिर वसंतऋनुकों और कामदेयकों साथलेके वनमेंगई वहांमुनीके पार्या नंग्रलोभययत्नेननपसोपिनिवर्तय॥सागातयनेयत्रसमुनिःमनपस्पनि 8 सा वसनंचकामंचगृहीत्वावनमाययो॥ तत्रागत्यमुनेः पावूरम्यं नृत्यूंचकारसाई हावभा वंततः कृत्वाभ्रुवोक्षेपमथाकरोत्॥तथापितनमानेवचकंपेहिनपसिनः 10 नारवाहि महातेजातपोबलसमन्धिनाचकारपरमंयनानिकंपिनयास्तदा 11 समागत्यस्वयंश कोनिजैश्वर्यभयान्विनः॥विमृश्यचमहाराजत्यविचार्यवधमुनेः१२ पके अच्छेमनोरन्या कोंकर्ना भई। हावभाव करके भुहारांकों चलाया नथापि तपस्वी मुनिका मन भिचला नहीं।।२०।। अरु|| || नपोबलयुक्तमहातेजस्वी मुनितिनअप्सराकों देरचके परमयत्न कर्ना भया परंतु चलानहीं॥११॥ तबरंद्र आ||| For Private and Personal Use Only
SR No.020142
Book TitleChandrayan Vrat Katha
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages26
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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