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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ६५ ) ॥ एकादशोर्नु चैत्यवंदन ॥ नेमो जिनेसर गण नीली, ब्रह्मचारी सिरदार ॥ सहस. पुरुषY आदरी, दीक्षा जिनवर सार ।। १॥ पंचावनमें दिन लां, निरुपम केवलनाण | भावक जाव पडिबाधवा, विचरे महिया जाण ॥२॥ विहार करता आवियाए, बाविसमा जिनराय । द्वारिका नयरी समोसा, समवसरण तिहां थाय ॥३॥ बार परखदा तहां मली, भाखे जिनवर धर्म ॥ सर्व पर्व तिथि साचवो, जिम पामो शिव शर्म । ४॥ तव पूछ हरि नेमने, दाखो दिन मुज एक॥ थोडो धर्म कर्या यकी, शुभ फल पामु अनेक ॥ ५ ॥ नेम कहे केशव मुणो, वरस दिवसमा जोय ॥ मागशर सुदी एकादशी, ए समो अबर न कोय ।६। इणदिन कल्याणक थया, नेउ जिनना सार । ए तिथि विधि आगधतां मृत थयो भवपार ||७॥ ते माटे मोटी तिथि, आराधो मन शुद्ध ॥ अहेरत्तो पोसह करो, मन घरी आतम बुद्ध ॥ ८॥ दोढसो कल्याणक तणुं ए, गणणुं गणो मनरंग॥ मौन धरी आराधीये, जिम पामो सुखसंग ॥९॥ उजमणुं पण कीजीए, चित्त घरी उल्लास || पूठांने वीटांगणे, इत्यादिक करो खास ॥१०॥ एम एकादशी भाव , आराधे नर राय ॥ क्षायिक समकितनो धणी, जिन बंदी घर जाय ॥ ११ ॥ एकादशी भवियण करो उज्वल गुण जिम थाय || क्षमाविजय जस ध्यानथी, शुभ मुरपति गुण गाय ॥ १२ ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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