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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( एढ़ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहस बहुतर पुरवरा ए । बत्तीस मौक बद्ध नरवरा ए| पाय कगामे करू ए । विन्नवे नमें बेकर जोक ए ॥ १५ ॥ हय गय रह वर जू जुवाए । लख चौरासी मंदिर दुवा ए। लाखत्रि वाजित्र घम घमे ए । बत्तीस सहस नाटक रमे ए ॥ २० ॥ रूप जिसी सुर सुंदरी ए । लक्षण लावन्य लीला जरी ए । जंगम सोहग देहमी ए| इसी चौसठ सहस अंतेनरी ए ॥ २१ ॥ अवरज रिद्धि प्रकार ए । मणि कंचण रयण जंकार ए । ते कहिवा कुण जाए ए | वपु वपुरे पुण्य प्रमाण ए ॥ २२ ॥ इम चक्कीसर पंचमो ए । चौथो दूसम सुषम समो ए । वरस सहस पंचवीस ए । सब पूरी मनह जगीस ए ॥ २३ ॥ इस परि बिह तीर्थ करा ए| चिरपाली राज विविह परा ए । जाली अवसर सार ए । विहुं लीधो संजम जार ए ॥ २४ ॥ विहुं खमदम धीरम धीर ए । बिहु मोह मयण मद परि हरी ए । बिहुं जिए का समाए ए । बिहुँ पाम्यो केवल नाए ए ॥ २५ ॥ बिहु देवहि कोहि महिय । बिहुं चौतीसे अतिसय सहिय । समव सरण बिहुं गए ए । बिहुं जोयण वाणी वखाए ए ॥ २६ ॥ नाचे रकत नेरीए । बिहुं आगलि इंड अंतेरीए । टिग मिग जोवे जग सहु ए । रंगहि गुणगावे सुर बहु ए ॥ २७ ॥ बिदु सिरवत्र चमर विमल । बिहु पग तल नव सोवन कमल । बिहुं जिन त विहार ए । नवि रोग न सोग न मारि ए ॥ २८ ॥ बिदु जवयार जुवा जरी ए । बिहुं सिद्धि रमणि सयंबरी ए । विदं जंजी जवद ए । विहं उदयो परमाणंद ए ॥ २९ ॥ इम वीजोनें सोलमो ए जाऐं चिंतामणि सुरतरु समो ए । शुषि For Private And Personal Use Only
SR No.020135
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachin Pustakoddhar Fund
PublisherPrachin Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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