________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जिन प्रतिमा बोली जिन सारखी । हितसुख मोक्ष नी दानो जी । नवियण ने जवसायर तार वा । प्रवहण जेम प्रधानो जी॥३॥ जीवा निगम प्रमुख मांहि लाखीयो । एस दु अरथ विचारोजी सांजलतां गणता सुख संपदा । हिय हरष अपारो जी॥४॥वि०
(कलश) ॥ श्म सासता प्रासाद प्रतिमा संथुण्या जिनवरतणा।चिहुं नाम जिण चंद तणा त्रिनुवन सकलचंद सुहावणा। वाचनाचारज समयसुंदर गुण लणे अनिरामए । त्रिहुंकाल त्रिकरण शुद्ध होयज्यो सदा मुझ परणांमए ॥ ५॥
॥ इति श्री सास्वता जिन चैत्य बिंब संख्या स्तवनं ॥
॥ अथ साखता असाखता जिन बिंब नमस्कार स्तवनम् ॥
॥* ॥ (देशी सुरती)॥ प्रहऊठी प्रनु ध्यान धरूं नमुं सिघ अनंत । त्रिनुवन माहै नमणकलं जे बिंब रहंत । नुवनपति व्यंतर जोतषि वैमानिकमांह । अनुत सास्वता बिंब नमुं मनधरि उबाह ॥ १॥ पंचमेरू वैताढ्य हिमाचल निषध प्रमाण।नीलवंत चित्रसेल कुंमल गजदंत वखांण । रुचक नंदीसर मानुषोत्तर आदि सास्वता जांण । रिषनानन चंजानन वारिषेण वर्धमान ॥२॥श्रावकोम अरूवप्पण लाख सत्ताणुं हजार। चढसै ग्यासी चैत्यसा स्वता मंगलकार । सहस अगवीस नवसै पचवीसकोक मिलाय । तेपन लख चसै अठ्याशी जग जिनराय ॥३॥ केश श्राचार्य मते श्राउकोम सतावन लाख । दोयसै अाणुं
For Private And Personal Use Only