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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (ए) धर्म कथा अनुयोगमें जी। धर्म कथा दृष्टांत ॥ ए चारों विस्ता. रिया जी। पेंतालीस सिद्धांत ॥ सु ॥ १॥ ॥ढाल ३ सांगानेर विराजे एदेशी ॥ ॥ सुण गौतमवाणी । श्म वीर वदे गुणखाणी रे । नवियां आगमसुं मन लावो ॥ मनकटिपत वात मागावो रे ॥ ज० ॥ आ॥२॥ नंदीसूत्र चिरनंदो । यामें पंचज्ञान ने वंदो रे ॥ ज्ञानना नेद वखाण्या। मति अगवीसे आण्यारे॥ ॥ श्राप ॥ २३ ॥ श्रुत चवदे वीसां नेदे । ए मिथ्यामत ने बेदे रे ॥ ॥ श्रा० ॥ अवधि उ असंख्य प्रकारे । मनपयवय जेद धारे रे ॥ ॥ श्रा० ॥२४॥ केवल एक प्रकासे । ए सब विधि नंदी नासेरे ॥ एतो सहु आगमनी नूद । स्याघाद गंगनी बूंदरे ॥ ॥ श्रा० ॥ २५॥ अंग उपांगनी टीका । कर्त्ताने नमूं निरनीकारे ॥ प्रथम शीलांगा चारी । श्रीअजयदेव बलिहारी रे ॥न ॥ आ० ॥२६॥ मखयगिरी गुरु स्वामी । इत्यादिकने सिर नामी रे ॥ सामान्य विशेष नाख्यो । निश्चय व्यवहार ने साखी रे॥ ज०॥ आप ॥२७ ॥ उत्सर्ग वचन डे के। अपवाद वचनने लेरे ॥ जम्॥इक मनसुं आराधो। मन वंचित सगला। साधोरे॥ज० श्रा० ॥ १८ ॥ ॥ ढाल ४ मंगल कमला कंदए ए देशी ॥ पैंतालीस आगमतणीए। हिव तप विधि सुण ज्यो हित जणीए । दूज पांचम एकादशीए । ज्ञानतिथि तपथी कर्म जायखसीए ॥ २५॥ शक्तिबते उपवासए । शांबिल निवीथी For Private And Personal Use Only
SR No.020135
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachin Pustakoddhar Fund
PublisherPrachin Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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