________________ Shri Mabayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gavandir वाशुभग्रहनिरीक्षणप्रतिष्ठाकारयेद्विद्वान्यथोक्तविधिनाद्विजः॥१५॥शालग्राम शिलायांतुपूजनंपरमात्मनः।। कोटिकोटिगुणाधिक्यंभवेदत्रनसंशयः॥१६॥ जपोनाधिवासश्चनचसंस्थापनक्रिया। शालिग्रामार्चनेविष्णुस्तस्मिन्सन्निहितः। सदा // 17 // मूर्तीनांचहरेःस्वस्ययस्यप्रीतिरनुत्तमा ॥तस्यामेवतुतांध्यात्वापू जयेत्तद्विधानतः॥१८॥ खंडितंस्फुटितंभिन्नमग्निदग्धंतथैवच // शालिग्राम शिलाभूतशैलदोषोन विद्यते // 19 // सूतकेमृतकेवापिविष्णुंनित्यंतथार्चयेत् // शालिग्रामशिलांस्पृष्ट्वासद्यएवशुचिर्भवेत् // 20 // मद्भक्तिबलमाश्रित्यमद्भ सक्तोदीक्षितोयदि॥ नत्यजेन्ममकर्माणिसूतकेमृतकेपिवा // 21 // अशुचिर्वाद राचारीसत्यशौचविवर्जितः॥शालग्रामशिलांस्पृष्ट्वासद्यएवशुचिर्भवेत् // 22 // ब्रह्मक्षत्रियवैश्यानांशूद्राणामथवापिवा // शालिग्रामेधिकारोस्तिनचान्येषांक For Private And Personal