________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra radhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir दिवाविहितशौचाच्चरात्रावईसमाचरेत् // रुज्यईचतदईचपथिचौरादिबाधिते / / // 14 // तदईयोषितांचापिस्वास्थ्येनूनंनकारयेत्॥अर्धधात्रीफलोन्मानामृदः / शौचेप्रकीर्तिताः॥१५॥वितस्तिमात्रसंत्यज्यकुर्याच्छौचजलाशयो।यस्मिन्स्थाने / कृतंशौचंवारिणातत्तुशोधयेत् // 16 // एतद्गृहस्थप्रमाणंब्रह्मचारिणोद्विगुणम् // वानप्रस्थस्यत्रिगुणसंन्यासिनांचतुर्गुणं // 17 // ॥इतिमृत्तिकानियमः // अथशुद्धिविधिः॥ // अश्वक्रांतेरथकान्तेविष्णुकांतेवसुंधरे॥ मृत्तिकेहरमे पापंयन्मयापूर्वसंचितम् // 38 // // इतिमृत्तिकाशुद्धिमंत्रः॥ अथपात्रनिर्ण यमहाशंभुसंहितायांअगस्त्यवाक्यम्॥ // यज्ञोपवीतंधीतंचकौपीनाच्छा। दनंपरं॥गृहंतुधातुपात्रंवातुम्बिकांरामसेवकाः॥१९॥ ॥तथाच // ॥यतिपा त्राण्यारकूटालाबुदारुमयानिच॥ // तथाच // ॥अलाबुदारुपात्रंचमृन्मयं For Private And Personal