________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri istehendir बृ.वे. मसमानतमुन्निदानं वंदे // 5 // सर्वोन्मुखस्यपुरुषस्यसतांप्रसंगात्कामादि रा.प. राक्षसशिरः करिबूतनाय॥चक्रंदधानमनिशंकमलेक्षणस्यवंदे // 6 // योमा मुदंशजतिसंसृतिदोषदृष्टिरेकः सएवपुरुषः पुरुषेषु धन्यः // सर्वोपरीतिगणने दधदूर्ध्वरेखांवंदे०॥७॥मांलुब्धमुग्धमकृतःपुरुषस्यस्वस्तिस्वस्तीतितेप्रचुरमं / गलमूलभूतं // श्रीस्वस्तिकंदधदनंतगुणार्णवस्यवंदे // 8 // ध्यातुःक्षणंकृत वतोविषयोग्रसर्पदंष्ट्रेद्रियस्यमनुजस्यचिकित्सितायां // यंत्रंचशापहरणंदधद | vष्टकोणं वंदे० // 9 // स्तोतुंमनःकृतवतःपुरुषस्यतत्तत्पापादिभेदनकृतेकुलिशं / दधानं // योगींद्रवृंदहृदयाश्रयकोमलांधिं वंदे० // 10 // चित्तंनिजेकिल निपुंजतरावपुंसः सद्योगसिद्धिरितियोगिजनैकाव्यं // बिभ्रत्समस्तपुरुषार्थ | 15 वरंसुबिंदुवंदे०॥ 11 // मत्सन्मुखस्यपुरुषस्यचभाग्ययोगान्नान्यत्रयात्विति | For Private And Personal