________________ Shri Mabbi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Canandir वाग्दोषहारिसकलंशमलंनिहंतृ // यत्पार्वतीस्वपतिनासहमुक्तकामाभत्त्यास हस्रहरिनामसमंजजाप॥९॥ यः श्लोकपंचकमिदंमनुजःपठेतनित्यंप्रभातसम येनियतः प्रबुद्धः। श्रीरामकिंकरजनेषुसएवमुख्योभूत्वाप्रयातिहरिलोकमनन्य लभ्यं // 6 // ॥तथाच॥ ॥दूर्वादलद्युतितनुंतरुणाजनेत्रंहेमांबरवरविभूष णभूषितांग // कंदर्पकोटिकमनीयकिशोरमूर्तिपूर्तमनोरथभवंशजजानकीशम् / ॥१॥कर्पूरगौरवपुषंशरदिदुवक्रनीलांबरंसरसिजाक्षमनंतमाद्यं // वामोर्मिलं ललितभूषणभूषितांगरामानुजंभजमनोमयदंनिजानां // 2 // विश्वंभरंभरतमं / बुजपत्रनेत्रंनीलांबुदाभवपुषंकनकाभवस्त्र। भक्ताभयप्रदमनेकविभूषणाव्यंजा व्यंहरंसुजनतांअजमांडवीशं // 3 // कैशोरमूर्तिमनुरूपमनूपमंतं पुष्पेषुसुंदर 14 तनुश्रुतिकीर्तिकांतं ॥गौरसुवर्णमणिभूषणमंबुजाक्षेपीतांबरंभजमनोऽखिलसि / / For Private And Personal