________________ Shri v ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriyanindir स्तवपदाजनिविष्टभारारामा० // 12 // संसेव्यसप्तशतसंयमिसार्वभौमैःसद्देशि कैस्सकलशास्त्रविदांवरिष्ठैः॥एकांतिभिःपरमभागवतैर्निषेव्यरामा०॥१३॥स्ना तुंकवेरतनयासलिलेषुशिष्यैराचार्यपूरुषवरैर्यतिभिर्विशुद्धैः॥श्रीवैष्णवैश्वसह / / सेव्यमहानुभावैरामा०॥१४॥गद्यत्रयनिगमशेखरदीपसारौश्रुत्यर्थसंग्रहमपि प्रथितुंचनित्यम् // गीतार्थभाष्यमपिदेशिकपुंगवानांदातुंप्रसीदयतिशेखरसुप्र भातम् // 15 // पादांबुजंयतिपतेःशरणंप्रपत्तुसंगत्यसंसरणवारिधित कामः॥ आयंतिहस्तकमलोपधतोपहारांस्तान्पालयार्ययतिशेखरसुप्रभातम् // 16 // रामानुजार्यरमणीयगुणाभिरामरागादिदुर्गमगुरोवरसार्वभौम // सत्वप्रधानश। रणागतवत्सलत्वात्पादाजयोरिहपरत्रचकिंकर स्याम // 17 // संसेवितःसंय मिसप्तसप्तपीठश्चतुःसप्ततिभिःसमेतैः // अन्यैरनन्यैरपिविष्णुभक्तैरास्तेधिर For Private And Personal