________________ Shri Yr Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri andir जमने प्रियः॥१४॥ इतिभाष्यकारप्रपत्तिः॥ ॥अथरामानुजसुप्रभातं // पूर्णार्यपूर्णकरुणापरिलब्धबोधवैराग्यभुक्तिमुखदिव्यगुणामृताब्धे॥श्रीयामुना / र्यपदपंकजराजहंसरामानुजार्यभगवंस्तवसुप्रभातम् // 1 // आनेतुमद्यवरदस्य गजाद्रिभर्तुःपानीयमच्छमतिशीतमगाधकूपात् // ध्वान्तंनिरस्तमरुणस्यकरै / समंताद्रामानु० ॥२॥श्रीरंगराजपदपंकजयोरशेषकैंकर्यमाकलयितुंसकुतूहल / स्त्वम् // उत्तिष्ठनित्यविधिमप्यखिलंचकर्तुरामा० // 3 // त्वांवीक्षितुंसमु पयातिवृषाचलेशस्त्वत्संप्रकृप्तवरशंखरथांगपाणिः // संयोजितामुरसिमांभव तैवबिभ्रद्रामा० ॥४॥आराधनंरचयितुंकमलासनस्यश्रीयादवाचलपतेर्विवि। धोपचारैः॥ पातुंचदृष्टिकमलेनमहानशेषानुरामा०॥५॥श्रीमत्कुरंगपरिपूर्णवि भुस्त्वदुक्तिश्रीभाष्यशास्त्रमखिलंत्वयिभक्तियुक्तः // श्रोतुंसमीक्षतियतींद्रधु For Private And Personal