________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri farandir जप्रपत्तिः॥ ॥अथक्षाप्यकारप्रपत्तिः॥ // श्रीशैलगोष्ठिपरिपूर्णकृपोपलब्ध रामायणार्थचरमोज्ज्वलपद्यसार // पूर्णार्ययामुनमुनींद्रपदाजहंसश्रीभाष्यका / रचरणौशरणप्रपद्ये // 1 // उत्तारणायभववारिधिमाग्नजंतोरात्र्यडगेमहतिभूत / पुरेवतर्ण // चैत्राख्यमासयतिशेखरलक्ष्मणार्यश्री० // 2 // यांसानुविष्णुरहिरा किमुसैन्ययोर्वासर्वैरतर्कितमहाविभवार्यवयं ॥श्रीरंगनायकपदांबुरुहैकहंस श्री॥३॥ मालाधरात्तवकुलाभरणोक्तिसारश्रीयादवाचलसमादृतनित्यवास॥ सम्यकुमारतरमंबुरुहायताक्षश्री०॥४॥अष्टाक्षराख्यमनुचंद्रसुवासितास्यश्रीमं / त्ररत्नदशसंख्यमहार्थवादिन।कंठावलंबितुलसीनलिनाक्षमालाश्री०॥९॥श्री भक्तिसारकुलशेखरभट्टनाथगोदासरोमुखसरोजसरोजबंधो।कूटाधिनाथमुखदे। शिकचातकाभ्रश्री०॥६॥स्फूर्जत्रिदंडतरुणार्कनिभांबुजाक्षशुभ्रोपवीतशिखयो। For Private And Personal