________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyerandir र्यकरिष्यते // इतिलोकेसबलवान्कृतांतोनसमीक्ष्यते // 6 // तस्मात्कार्यशुभं| धीमाञ्छ्रेयस्कामोनरोत्तम ॥विलंबेनकथंकर्तुमर्हसिद्विजसत्तम॥७॥ // महो। दधौ॥ // तदैवलग्नंसुदिनंतदैवताराबलंचंद्रवलंतदैव। विद्याबलंदैवबलंतदैव / / सीतापते मयदास्मरेत॥८॥इतिदीक्षामाहात्म्य॥ ॥अथदीक्षाविधिःपंचरा // // सौवर्णराजतंताम्रकांस्यमायसमेववा॥ चक्रंकृत्वातुमेधावीधारयेत्तहि चक्षणः॥१॥ द्वादशारंतुषट्रोणंबलत्रयसमन्वितम् // हरेःसुदर्शनंनित्यंधारये तविचक्षणः // 2 // तथाहि // स्नात्वाशुभेन्हिपुर्वेऽन्हिसम्यगभ्यर्यकेशवम् / स्वातंशिष्यसमाहूयकृतकौतुकमंगलम् // 3 // आचार्योविधिवत्कुर्याञ्चक्रपुंडा दिसत्कियाम्॥पुरतोऽग्निंप्रतिष्ठाप्यस्वगृह्योक्तविधानतः॥४॥तस्माच्चक्रादिसं स्काराः कर्तव्यामुनिसत्तम ।चक्रलांछनहीनेनकृतंकर्मचनिष्फलं // 5 // नारा 路路路路路路路路路路路路路路路路路路路路。 For Private And Personal