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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir TA2/20 ११ मा रा भूमि की प्राप्ति एवं मकान का निर्माण निश्चित रूप से होगा। एक सज्जन ने वृषभ लग्न में सन्तान सम्बन्धी प्रश्न पूछा, जिसकी कुण्डली निम्नलिखित है : तृतीय योग : यहां लग्नेश शुक्र और कार्येश पंचमेश बुध दोनों (शु २ वु लग्न में स्थित हैं । इन पर चन्द्रमा की दृष्टि भी है। अत: शीघ्र सन्तति होने का योग है। कन्या के विवाह की चिन्ता से युक्त एक व्यक्ति ने मेष लग्न में प्रश्न किया। उसकी कुण्डली निम्नलिखित है : चतुर्थ योग : यहां लग्नेश मंगल और कार्येश (सप्तमेश) शुक्र दोनों सप्तम स्थान में बैठे हैं। इन पर मित्र राशि गत चन्द्रमा की पूर्ण दृष्टि है। अत: अच्छे परिवार में सुयोग्य वर के साथ शीघ्र विवाह होगा यह फलादेश करना चाहिए। चन्द्रदृष्टिं विनाऽन्यस्य शुभस्य यदि दृग्भवत् । शुभं प्रयोजनं किंचिदन्यदुत्पद्यते तदा ॥७॥ अर्थात् चन्द्रमा की दृष्टि के बिना यदि किसी अन्य शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो कोई अन्य प्रयोजन उत्पन्न होता है । भाष्य : पूर्वोक्त चार योगों में योगकारक ग्रहों पर चन्द्रमा की दृष्टि अनिवार्य शर्त के रूप में मानी गयी है। क्योंकि . म रा८ - For Private and Personal Use Only
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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