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( २६ ) ॥ ग्रहशान्त्यर्थ मन्त्रादयः॥
मन्त्र
रत्न
दान
गेहूँ, धेनु, लाल कपड़ा सूर्य | ॐ सूर्याय नमः माणिक्य गुड़, स्वर्ण, तांवा,
रक्तपुष्प
चावल, कपूर, श्वेत चन्द्र | ॐ चं चद्रमसेनमः | मोती वस्त्र.वषभ. चांदी.
घी, चीनी
गेहूँ, मसूर, गुड़, मंगल| ॐ अं अंगारकाय नमः | मूंगा सुवर्ण, लाल कपड़ा,
ताँबा, कनेर पुष्प
मूंग, हरा कपड़ा, बुध | ॐ बुं बुधाय नमः पन्ना | कांसा, कस्तूरी, घी,
शाक
हल्दी, चना, अश्व, | ॐ वृ बृहस्पतये नमः | पुखराज पीला कपड़ा, स्वर्ण,
पीला पुष्प
चावल, धेनु, चांदी शुक्र | ऊँ शु शुक्राय नमः हीरा अनेक रंग का कपड़ा,
सुगन्धित पुष्प
उड़द, तिल, तेल, शनि | ॐ शं शनैश्चराय नम:| नीलम | भैस, लोहा, काला
कपड़ा
| गेहूँ, नीला वस्त्र, राहु | ॐ रां राहवे नमः गोमेद कंबल, तिल, तेल,
अभ्रक
| सप्तधान्य, तिल, केतु । ऊँ के केतवे नमः लहसुनिया कंबल, शस्त्र, काला
कपड़ा,
कूट, खिली, मालकंगनी, लाजवन्ती, जौ, सरसों, देवदान, हल्दी एवं सर्वोपि घी युक्त जल से स्नान करने से सब ग्रहों की पीड़ा शान्त होती है।
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