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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १०४ ) और बाद में स्त्री - सुख मिलता है । इस प्रचलित सन्दर्भ में दाम्पत्य सम्बन्ध का संक्षिप्त विचार कर लेना भी उपयुक्त होगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दम्पति प्रीतियोग प्रश्नकुण्डली में यदि निम्नलिखित योग हों तो पति-पत्नी में प्रगाढ़ स्नेह होता है और यह प्रीति उतरोत्तर वृद्धिगंत होती है। (i) लग्नेश सप्तम में और सप्तमेश लग्न में स्थित हों । (ii) लग्नेश लग्न में और सप्तमेश सप्तम में स्थित हों । (iii) लग्नेश और सप्तमेश दोनों लग्न में स्थित हों । (iv) लग्नेश और सप्तमेश दोनों सप्तम स्थान में स्थित हों । (v) लग्नेश और सप्तमेश परस्पर मित्र हों और एक दूसरे को देखते हों । दम्पति बैर योग यदि प्रश्न कुण्डली में निम्नलिखित योग हों तो पति-पत्नी में कलह, विवाद और मतभेद होता है । (i) लग्नेश और सप्तमेश परस्पर शत्रु और निर्बल हों । (ii) लग्नेश और सप्तमेश दोनों शत्रु राशि में हों और इन पर पापग्रहों की दृष्टि हो । (iii) लग्नेश और सप्तमेश नीच या अस्तंगत होकर परस्पर छटे और आठवें स्थान में हों । १६. अथ विषकन्यानिर्णय द्वारम् रिपुक्षेत्रस्थितौ द्वौ तु क्रूरश्चकस्तत्र लग्नादि शुभग्रहौ । बाता भबेत्स्त्री विषकन्यका ॥६५॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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